प्रेस नोटः 25 अगस्त 2017
चाईना कंपनी 'अलीबाबा ग्रुप' के भारतीय पार्टनर 'Paytm'
के द्वारा जनता के साथ की जा रही लगातार धोखाधड़ी
लुधियाना ACP सचिन गुप्ता के साये में
जारी है, चाईना कंपनी की धोखाधड़ी


मामले की सी.बी.आई. जाँच की माँग के लिए लगाई
E-Petition को sign करें : http://chn.ge/2wGOlvY
मामले से संबंधित वीडियो :
· आज के भगत सिंह मुकेश ठाकुर के साथ (मुंबई यात्रा के दौरान) हुये पूरे घटनाक्रम का साक्षात्कारः
https://youtu.be/IjcwZ3e31IM
· मुंबई में OJHA NGOके ऑफिस में 'भ्रष्टाचार विरूद्ध जागृति अभियान (BVJA)'के अध्यक्ष का भ्रष्टाचारियों को पेपर-बम के सहारे बे-नकाब करने के बारे में सभा जानकारी दी गईः https://youtu.be/HdTJhv4gHK4
· मुंबई में OJHA NGOके ऑफिस में आज के भगत सिंह मुकेश ठाकुर का सभा के सामने भ्रष्टाचारियों के खिलाफ पेपर बम का सहारा लेकर उन्हें बे-नकाब करने के मामले में जानकारी देते हुये साथ ही उसके परिणामों की जानकारी देते हुये साक्षात्कार के रूप में पूछे गये सवालों के जवाब देते हुयेः https://youtu.be/ftsW3kjkRCk



देश में भ्रष्टाचार का ऐसा बोलबाला, व भाई-भतीजावाद है की, अगर आप भ्रष्ट है तो दूसरा भ्रष्ट आप को बचाने के लिए यह भी नहीं देखेगा कि आप उसके नजदीकी रिश्तेदार हैं? ऐसे मामलों में बिना रिश्तेदारी के ही भ्रष्ट अधिकारियों की जमातें मिलकर ईमानदार व भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले Whistle Blower के खिलाफ एक जुट हो जाते हैं और उसे एकजुट होकर झूठे मामलों में फँसाकर जेल पहुंचाने के कारनामों को अंजाम देते हैं| इन भ्रष्ट अधिकारियों की बुद्धि व अक्ल ज्यादातर मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले की औलादों की अक्ल जैसी ही होती है मतलब यह भ्रष्ट अधिकारी अपने-अपने पदों पर अपनी योग्यता से नहीं बल्कि रिश्वत के गलियारों से गुजर कर पहुंचते हैं जिसका एक बेहतरीन उदाहरण इस मामले में साफ-साफ नजर आ रहा है|
यह मामला लुधियाना के पीड़ित व्यक्ति लकी उर्फ जय हिंद का है जिसके Paytm खाते से अपराधी अमृतपाल सिंह उर्फ विकी द्वारा गैरकानूनी तरीके से पैसे निकाले गए जिसकी शिकायत ए.सी.पी. को 3/5/17 को दी गई थी मगर किसी भी प्रकार की कोई भी कार्यवाही नहीं की गई और ना ही F.I.R. दर्ज की गई जबकि सुप्रीम कोर्ट के कानून अनुसार तुरंत F.I.R. दर्ज करते हुए कार्यवाही शुरु कर देनी चाहिए| यहाँ पर सीधा-सीधा सुप्रीम कोर्ट के कानून का उल्लंघन किया गया जिसके बाद पीड़ित द्वारा संगठन से सहयोग मांगा गया तो संगठन के निर्देशानुसार paytm के नोयडा ऑफिस से हुए ट्रांजेक्शन की डिटेल ली गई, जिसे लेकर जब पीड़ित को पुलिस स्टेशन भेजा गया और पुलिस स्टेशन के अधिकारी को आवश्यक कार्यवाही करने के लिए कहा गया तो भी पुलिस स्टेशन के भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा कोई भी कार्यवाही नहीं की गई जिसके बाद सबूत के साथ पुलिस कमिश्नर ऑफिस में शिकायत की गई मगर शिकायत किए जाने के एक महीने बाद तक भी भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों द्वारा सबूत होते हुए भी कोई कार्यवाही नहीं की गई| आखिर संगठन द्वारा पीड़ित को बैंक भेजा गया जहां से मान-मुनव्वल द्वारा बैंक अधिकारी ने उस अपराधी अमृतपाल सिंह उर्फ विकी का नाम व पता बताया जिसने पीड़ित लकी उर्फ जय हिंद के खाते से रुपए चोरी किए थे यह पूरा कारनामा पीड़ित के Paytm खाते से मोबाईल नंबर 98031-41252 पर पहले ट्रांसफर करके किया गया फिर उस मोबाईल नंबर से इस दूसरे मोबाईल नंबर 99888-50660 पर ट्रांसफर किया गया और उसके बाद आपराधी के खुद के बैंक खाते में ट्रांसफर किया गया था| यह रकम के ट्रांसफर का तरीका अपराधी की आपराधिक मानसिकता को दर्शाने के लिए पर्याप्त है|
संगठन का मानना है कि, सबूतों के साथ पुलिस विभाग को शिकायत दिए जाने के बावजूद अगर पुलिस विभाग या कोई अधिकारी कार्य नहीं करता है तो यह सुनिश्चित हो जाता है कि, वहां पर भ्रष्टाचार का भरपूर खेल चल रहा है और रिश्वतखोरी अपनी पर चरम पर पहुंची हुई है जिसके बाद संगठन संबंधित मामले में पर्चियाँ बनाकर बांटता है व Facebook व WhatsApp के साथ-साथ सोशल मीडिया पर संबंधित विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों व अपराधियों के नाम और उनके कारनामों के साथ फैलाता है|
यहां पर भी जब देखा गया कि पुलिस विभाग के भ्रष्ट अधिकारी सबूत मिलने के बावजूद ना तो F.I.R. दर्ज कर रहे हैं और ना ही कोई कार्यवाही कर रहे हैं, तो इस मामले में पहले अपराधी से मुलाकात की गई क्योंकि संगठन का यह भी उसूल है कि, अगर अपराधी ने पहली बार ही अपराध किया है या बहकावे में आकर या थोड़े से लालच में फँस कर उसने इस प्रकार की गलती की है, तो उसे समझा कर उसकी गलती का माफीनामा स्टैम्प पेपर पर बनवाकर लिया जाता है साथ ही पीड़ित को हुये नुकसान की भरपाई मूल रकम के साथ दिलाई जाती है इसलिए जब संगठन द्वारा देखा गया कि, पुलिस स्टेशन ने डेढ़ महीने बीतने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की तो पीड़ित के साथ संगठन के सदस्य अपराधी से मिले और उसके द्वारा किए गए 'उसके अपराध की', उसको सबूतों के साथ जानकारी दी मगर अपराधी द्वारा पहले तो टालमटोल की गई फिर धमकियां दी गईं मगर फिर भी संगठन ने धैर्य रखा और उससे कहा कि, यदि यह आपका पहला अपराध है तो हम इस मामले को आवश्यक नुकसान भरपाई के साथ मूल रकम लेकर व माफीनामा बनवाकर खत्म कर देंगे अन्यथा इस मामले को हम पुलिस स्टेशन में उठाएंगे साथ ही सोशल मीडिया पर भी रखेंगे मगर आपको अपनी सच्चाई बताने के लिए पहले अपना बैंक स्टेटमेंट दिखाना होगा| इसी बीच आरोपी का रिश्वतखोर भाई भ्रष्टाचार से कमाई गई दौलत के नशे में चूर होकर वहाँ पहुँचा व पीड़ित को धमकी देने लगा कि, "मैं कमिश्नर के साथ बैठ कर दारु पीता हूं हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता, मैं 50,000 खर्चा करके उल्टा तुम पर ही F.I.R. दर्ज करवा दूँगा मगर संगठन उसके इस दबाव व धमकी में नहीं आया| जिसे देखकर रिश्वतखोर भाई सुखदेव सिंह बोला कि, ठीक है चलो मामला खत्म करो मैं आपके संगठन के प्रारूप के अनुसार माफीनामा बना कर दूँगा व बैंक स्टेटमैंट भी दूँगा साथ ही आवश्यक नुकसान भरपाई के साथ 40,000 रु. भी दूँगा इसके बाद दूसरे दिन आरोपी का पिता, सुखदेव सिंह व आरोपी के मामा रंजीत सिंह के साथ आये और 20,000 रु. पीड़ित को दिए साथ ही कहा कि शाम को बैंक स्टेटमेंट देंगे व माफीनामा बनाकर देंगे साथ ही बची हुई रकम भी दे देंगे तब तक के लिये जो पैसे हम दे रहे हैं उसकी कच्ची लिखापढ़ी कर लेते हैं, जिसके लिये संगठन के सदस्य सहमत हो गये और फिर रिश्वतखोर भाई द्वारा पंजाबी में खुद लिखकर पीड़ित व संगठन के सदस्य मुकेश ठाकुर से हस्ताक्षर लिये गये मगर इसके बाद अपराधियों द्वारा ना तो कोई संपर्क किया गया और ना ही उनके द्वारा अपराधी भाई का वह बैंक स्टेटमेंट दिया गया, जिससे यह साबित हो पाता कि अपराधी ने केवल पीड़ित के साथ ही इस प्रकार की धोखाधड़ी की है ना कि अन्य के साथ?
इस कारण संगठन अपराधी से संगठन के प्रारूप के अनुसार माफीनामा नहीं ले पाया जो संगठन द्वारा पहली बार गलती से किए गए अपराध के मामले में अपराधी से बनवा कर लिया जाता है (माफीनामा के उदाहरण साथ में संलग्न है)| आखिर संगठन द्वारा इस मामले में शिकायत पत्र के साथ-साथ अपराधियों की पर्चियाँ बनाकर देश-विदेश व मोहल्ले में Whistle बजाने के तरीके से बाँटी गईं जिससे भ्रष्ट अधिकारी व अपराधी भड़क गए और उन्होंने धमकियां दी कि, "हमारा एक करोड़ रुपए भी खर्च हो जाएगा तो भी चलेगा पर तुम पर झूठे मामले दर्ज करेंगे व लड़की के मामले में भी फँसायेंगे"| जिसका पहला परिणाम 22.06.2017 को मिला, जिसमें जिस प्रकार से दलाल लोग धंधेवालियों से पैसा कमाने के लिए धंधा करवाते हैं ठीक उसी प्रकार यहां पर इस रिश्वतखोर भाई ने दलाल बन कर अपनी बहन का इस्तेमाल किया और झूठी F.I.R. पीड़ित व Whistle Blower पर दर्ज करवाई| इस F.I.R. में साफ नजर आ रहा है कि, ACP सचिन गुप्ता द्वारा भरपूर पैसा खाया गया| इस झूठे मामले में रिश्वतखोर भाई की बहन द्वारा आरोप लगाया गया कि, '21.06.2017 को 11:30 से 12:00 के बीच मुझ पर टिब्बा रोड से कचहरी जाते समय लक्कड़ पुल पर तेज धारदार हथियार से हमला किया और जिसकी वजह से मुझे खून निकला'|
सुप्रीम कोर्ट के कानून के नियमानुसार किसी भी प्रकार के संज्ञेय अपराध में तुरंत F.I.R.दर्ज की जाने चाहिए और बयान की तस्दीक के अनुसार व बहुत जरूरी होने पर ही प्राथमिक जांच करने के बाद आरोपी को गिरफ्तार करना चाहिए, मगर यहाँ पर ऐसा कुछ भी नहीं किया गया अगर किया गया होता तो पहली नजर में ही ईमानदार पुलिस अधिकारी द्वारा इस मामले को झूठा करार दे दिया जाता क्योंकि संबंधित मामले में शिकायतकर्ता की शिकायत और बयान उसी की मैडिको लीगल रिपोर्ट से ही मेल नहीं खा रही है कारण देखिये :
· शिकायत के अनुसार शिकायतकर्ता को धारदार हथियार से मारा गया और उसे खून निकला
· जबकि मैडिको लीगल रिपोर्ट के अनुसार उसको कहीं भी खून नहीं निकला है और ना ही धारदार हथियार से कट मारा गया है
· बल्कि मेडिकल लीगल रिपोर्ट में साफ लिखा है कि, बाएं कंधे पर पीछे की तरफ लाल निशान है जो किसी खड़ी स्केल/बेंत के लगने से ही हो सकता है
· लड़की के बयानानुसार, पीछे से बाईं तरफ से सटकर बाईकसवारों द्वारा हमला किया गया
· मगर मैडिको लीगल रिपोर्ट के अनुसार दो तरफ से हमला हुआ एक सामने से और दूसरा पीछे से
· पीछे की तरफ से किए गए वार का निशान लड़की के बाए कंधे पर लाल निशान के रूप में नजर आ रहा है
· जबकि मैडिको लीगल रिपोर्ट के अनुसार दूसरा वार सामने की तरफ के दायें कान पर किया गया है
· जिसके बारे में शिकायतकर्ता द्वारा कहीं भी कोई जानकारी नहीं दी गई
अतः पहली नजर में ही शिकायतकर्ता के बयान व मैडिको लीगल रिपोर्ट के आधार पर पुलिस द्वारा मामला खारिज ना करना, सीधे-सीधे पुलिस अधिकारी के भ्रष्टाचार को मजबूती प्रदान कर रहा है क्योंकि बिना किसी प्राथमिक जांच के, पीड़ित व संगठन के सदस्य मुकेश ठाकुर के ऊपर F.I.R. दर्ज करना और रात भर हवालात में रखना, सीधे-सीधे पुलिस की अयोग्यता व उनके भ्रष्टाचार को चिंहित करने के लिए पर्याप्त है|
अगर कोई ईमानदार अधिकारी होता तो वह इस मामले को कुछ इस प्रकार से हल करता,वह शिकायतकर्ता के बयान मैडिको लीगल रिपोर्ट की आपस में जांच करता अगर उसे कुछ संदेह होता तो घटनास्थल पर जाता और आसपास मौजूद चश्मदीद गवाहों को ढूंढने और उनसे बातचीत करके घटना की सत्यता जांचने की कोशिश करता|
• तकनीकी सबूतों को प्राप्त करने के लिए घटना स्थल के आसपास मौजूद CCTV कैमरा को चिन्हित करते हुए घटना के समय के आसपास की वीडियो क्लिप्स जब्त करता और उनकी जांच करता,
• घटनास्थल के रास्ते पर मौजूद लगभग 4-5 मोबाइल टॉवरों से घटना के समय के मोबाइल फुट प्रिंट की जब्ती करता जिससे शिकायतकर्ता के मोबाइल के साथ-साथ हमला करनेवालों के मोबाइलों के नं. भी तकनीकी सहयोग का उपयोग करके चिन्हित हो जाते|
• शिकायतकर्ता द्वारा हमला करने वाले चिन्हित व्यक्तियों के बयान लेकर उनके घटना के वक्त की मोबाइल लोकेशन लेकर उसे 'सीज़' करता व जब्त करता जिससे चिन्हित व्यक्तियों की मोबाईल लोकेशन से उनके अपराधी होने या ना होने में उन तकनीकी सबूतों का उपयोग करते हुये जांच में सहयोग प्राप्त करता|
• शिकायतकर्ता के द्वारा हमला करने वाले चिन्हित व्यक्तियों की हमले के वक्त की उनके बयान के आधार पर मौजूदगी की अगर वीडियो क्लिप कहीं होती तो उससे प्राप्त करता|
मगर इस झूठे मामले में ऐसा कुछ भी नहीं किया गया जो सीधे सीधे ए.सी.पी. जैसे भ्रष्ट अधिकारी को रिश्वतखोर कहने के लिए पर्याप्त है क्योंकि संबंधित मामले में फोन पर ए.सी.पी. साहब (मोब. 78370-18511)कभी मिले ही नहीं और ना ही उनके द्वारा फोन उठाया गया|
जब इस मामले में संगठन द्वारा 22.06.2017 पंजाब के सभी पुलिस अधिकारियों को SMS
1. Bina evidence larki ke jhuthe bayan par bhrashtachar karte hue division no 1 (chaura bazar kotwali) ludhiana ke SHO ne victims ko 3.00pm se thane me baitha kar rakha ha
2. Bina evidence larki ke jhuthe bayan par bhrashtachar karte hue division no 1 (chaura bazar kotwali) ludhiana ke SHO(mo 7837018601) wa ACP ne victims ko 3.00pm 22-06-2017 se thane me sanvidhan ki dhajjiyan urate hue baitha kar rakha hai www.bvbja.com
भेजे गये
जिसके बाद अगले दिन डी.सी.पी. साहब, लुधियाना (मोब. 78370-18502) का फोन आया और उन्होंने कहा कि, "यह 354 का मामला बनता है" कह कर सच्चाई से पल्ला झाड़ने का काम करते हुए उन्होंने जरूरी प्राथमिक जाँच व संविधान की किस प्रकार धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं पर बात करने की अपेक्षा फोन करनेवालों व SMS करनेवालों को डराने का काम किया|
अगर इस पूरे मामले की विशेष जांच टीम से जांच कराई जाए तो सच्चाई सामने आ जाएगी|
इस मामले में ए.सी.पी. सचिन गुप्ता व ASI स्वर्ण सिंह के निजी मोबाइल व उनके ऑफिशियल मोबाइल की कॉल डिटेल की जाँच (पीड़ितों पर F.I.R. दर्ज करने से 3 दिन पहले व 3 दिन बाद) की जाती है तो उनके अपराधियों के साथ शामिल होने की पुष्टि हो जाएगी|

संगठन संबंधित मामले में सभी संबंधित विभागों को सबूतों के साथ शिकायत-पत्र भेज रहा है और चाहता है कि आरोपियों व जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर उचित कार्यवाही करते हुये पीड़ितों को जल्द से जल्द इंसाफ दिलवाया जाये|
आशा है, तुरंत से तुरंत संगठन द्वारा दिये गये तथ्यों व सबूतों के साथ-साथ संवैधानिक नियमों की व्यवस्था को बनाये रखने के लिये कार्यवाही शुरू कर दी जायेगी|
संगठन चाहता है कि, संगठन के सदस्य व पाठकगण संबंधित अधिकारियों (पुलिस कमिश्नर, लुधियाना मोब. 9013626505 व ध्रुमन निंबाले IPS (डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस) मोब. 7837018502 (DCP) को फोन या SMS करें और उचित कार्यवाही के लिये कहें साथ ही पीड़ित को इंसाफ दिलवाने की पहल करने की दिशा में कदम उठायें|
SMS लिखें :
Pls visit ‘www.bhrasht-ACP-sachin-gupta.bvbja.com’ bhrasht ACP/North Sachin Gupta (Ludhiana) aur ASI Swarn Singh (Tibba Chowki) ko barkhast karo
धन्यवाद!
सोनिका क्रांतिवीर
मोब. 99209-13897
भ्रष्टाचार विरूद्ध जागृति अभियान
www.bvbja.com
संबंधित मामले में पुलिस अधिकारियों से फोन पर हुई बातचीतः
· भ्रष्टASI स्वर्ण सिंह (टिब्बा चौकी, बस्ती जोधेवाल पुलिस थाना) से हुई बातचीत
· संगठन द्वारा थाना-प्रभारी (SHO) बस्ती जोधेवाल पुलिस थाना से की गई पहली बातचीत
· संगठन द्वारा थाना-प्रभारी (SHO) बस्ती जोधेवाल पुलिस थाना से की गई दूसरी बातचीत
· संगठन द्वारा थाना-प्रभारी (SHO) डिविज़न नं.1(कोतवाली) पुलिस थाना से की गई बातचीत
· संगठन द्वारा टिब्बा चौकी इंचार्ज (बस्ती जोधेवाल पुलिस थाना) व थाना-प्रभारी (SHO)से की गई बातचीत
· संगठन द्वारा टिब्बा चौकी इंचार्ज (बस्ती जोधेवाल पुलिस थाना) से की गई बातचीत
पूरा मामला देखें : www.20170617.bvbja.com
संलग्न दस्तावेज़ :
प्रतिलिपी :
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माननीय राष्ट्रपति महोदय
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माननीय उच्चतम न्यायालय
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माननीय प्रधानमंत्री महोदय
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माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश
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भारत का विधी आयोग
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पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय
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लोकायुक्त, पंजाब
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पुलिस महानिदेशक (DGP)
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पुलिस कमिश्नर, लुधियाना
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10.
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केन्द्र सर्तकता आयोग (CVC)
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11.
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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
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जिला मैजिस्ट्रेट (DC)
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13.
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निदेशक (फूड, सिविल सर्विसिज और कंज्यूमर अफेयर्स)
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संबंधित मामले का विवेचनात्मक विवरण
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संबंधित मामले में भेजे गये पत्रों की रसीदें
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