Label
User Name:  
Password:
New User

E    सामान्य पंजीकरण के
            लिए SMS करें

E    कोड 47 के बारे में जानें

E    FDI को निष्क्रीय करने
            में सहयोग दें

E    वॉलमार्ट और मॉल जैसी
           कंपनियों को निष्क्रिय
           करवाने में सहयोग दें

 

E    तकनीक के सहारे ग्राहकों
           का भरोसा जीतिये

 

E    SMS करके 10 मिनट

       में वेबसाईट बनायें

 

E    वेबसाईट बनाने व उसकी
           जानकारी के लिये

 

संस्था का प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं. साधना केंद्र:- स्वामीजी का मत है कि वर्तमान समय में अधिकांश व्यक्ति तनाव, चिंता, भय निराशा से ग्रस्त है। इससे बचने के लिए जप, तप, ध्यान और योग-साधना आदि की आवश्यकता होती है। इसलिए आश्रम में इन सब बातों का ध्यान रखते हुए सादगी और शान्ति बनी रहे इसके लिए समुचित व्यवस्था की गई है। इसके अतिरिक्त समय समय पर विभिन्न स्थानों पर ध्यान एवं योग विशेषज्ञों द्वारा शिविर भी लगाये जाते हैं. अन्न-क्षेत्र की व्यवस्था – विगत कई वर्षों से साधू-संतों एवं सन्यासियों की सेवा करने के साथ साथ अनेकों निर्धन, गरीब, बेसहारा बच्चों एवं परिवारों को यथासंभव भोज्य सामग्री प्रदान किया जाता है। इसके अतिरिक्त विशेष अवसरों व पर्वों पर सार्वजनिक भंडारा आयोजन भी करवाया जाता है। गुरुकुल पद्धति पर शिक्षा – सनातन धर्म एवं संस्कृति की रक्षा हेतु वेदाध्ययन में लगे विद्यार्थियों के रहन-सहन, खान-पान, धार्मिक ग्रंथों एवं अन्य पाठ्य सामग्रियों की निःशुल्क व्यवस्था की जाती है। गुरुकुल पद्धति पर आधारित अनेक शिक्षा केंद्र खोले जाने की प्रक्रिया चल रही है । इन केन्द्रों में मेधावी विद्यार्थियों को श्रीमद-भागवत कथा, श्रीराम कथा एवं श्रीमद-देवी भागवत कथा का विधिवत ज्ञान प्रदान करने के साथ-साथ कथा के लिए पुरुषार्थ आश्रम द्वारा मंच भी प्रदान किये जायेंगे। गौ सेवा एवं गौ-रक्षा हेतु गौशाला- स्वामी जी का स्पष्ट मानना है कि गौमाता हमारी सनातन संस्कृति एवं धर्म की प्रतीक है। गौमाता के रोम रोम में ३३ करोड़ देवी-देवताओं में से २७ करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। जो मनुष्य अपनी शुद्ध कमाई का १% दान करता है, उसका मानव जीवन सफल एवं सार्थक हो जाता है , क्योंकि उनके द्वारा की गई सेवा से २७ करोड़ देवी देवता प्रसन्न होकर उस पर अपनी कृपा दृष्टि रखते हैं। गौमाता से प्राप्त होने वाली अमृतमयी दूध, दही, घी, गोबर और गौमूत्र से बनने वाली दिव्य औषधि- पंच्गन्य घी, पंच्गन्य वटी एवं पंच्गन्य अर्क प्राप्त होते हैं, जिनसे असाध्य एवं गंभीर रोगों का इलाज संभव होता है ।
पुरुषार्थ आश्रम सेवा ट्रस्ट