प्रेस नोट : 21 नवंबर 2014
संगठन द्वारा उठाये गये क्रांतिकारी कदम से एक बहु को इन्साफ दिलवाया
गया,
जो ससुर द्वारा दी गई शारीरिक उत्पीड़न से बचने के लिये दूसरी मंजिल
से कूद कर अपंग स्थिती में पहुँच गई|

सामाजिक
कुरीतियों ने समाज के हर तबके को इस कदर जकड़ रखा है कि आम इन्सान अपने अहम व एकाधिकार
का उपयोग करते हुये पारिवारिक अपराध, उत्पीड़न व शोषण अपने क्षेत्राधिकार में करने से
परहेज नहीं करता| देश के अधिकांशतः परिवारों में कहीं न कहीं हर उस कमजोर इन्सान का
शोषण हो रहा है, जो जागरूकता की कमी, अज्ञानता व शारीरिक रूप से अक्षम स्थिती में हैं|
हम सब जानते हैं, कि यह पारिवारिक उत्पीड़न हमारे परिवार व हमारे आसपास के परिवारों
में हो रहा है मगर ना तो कोई सामाजिक संगठन या सरकारी आयोग ऐसी कोई पहल कर रहा है,
कि इन शोषितों का उत्पीड़न रोका जा सके| जब कभी उत्पीड़न हद से ज्यादा हो जाता है, तो
कभी-कभी बाहर दिखाई देने लगता है मगर पूँजी का लेनदेन व भ्रष्टाचार ऐसे शोषण को मीडिया
तक पहुँचने नहीं देता है परिणाम शोषण लगातार जारी रहता है और कुछ भ्रष्ट अधिकारियों
की जेबें फलने-फूलने लगती हैं| संगठन के पास ऐसा ही एक मामला आया जिसमें एक अनपढ नाबालिग
बहु शादी करके ससुराल पहुँची मगर अपनी अज्ञानता, अशिक्षा व अल्हड़पन ने उसे सास-ससुर
के साथ-साथ देवर व ननद के जुल्मों का शिकार बनाना शुरू कर दिया|

परिणाम,
शादी के बाद बच्चों का जन्म तो होता रहा मगर उसका मानसिक व शारीरिक उत्पीड़न भी जारी
रहा, जो जब सहन के बाहर हुआ तो उसे मायके जाना पड़ गया| बाद में पति द्वारा किसी प्रकार
वापस लाया गया तो 9 सितम्बर 2014 को फिर से उसके साथ ससुर द्वारा मारपीट की गई जिसने
उसको 2 मंजिला छत से कूदने को मजबूर कर दिया| लगभग 2 घंटे तक छटपटाने के बाद किसी के
द्वारा संदेशा भेजा गया तब पति आया और उसे अस्पताल ले गया जहाँ मालूम पड़ा