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प्रेस नोटः 08 मई 2014

निर्भया कांड दोहराने की कोशिश करती लुधियाना पुलिस

देश में हो रही उथल-पुथल पर अगर नज़र डालें तो यह साफ नज़र आ रहा है कि अगर आप में आर्थिक शक्ति हो तो दिन को भी रात करने व कहलवाने में सफल हो जायेंगे| आर्थिक शक्ति के महाबलियों के सामने आम जनता कीड़े-मकौड़ों के समान है, उनके द्वारा अपना जलवा दिखाने पर अगर सड़कों पर खून की नदियाँ भी बह जायें तो उन्हें परवाह नहीं| यह वो लोग हैं जो अधिकांशतः राजनैतिक पार्टियों के महाबली के रूप में नज़र आते हैं और इन राजनैतिक पार्टियों का उपयोग यह महाबली, जनता को और पार्टियों के कार्यकर्ताओं को आपस में लड़वाने के लिये करते हैं| इन राजनैतिक पार्टियों के शहंशाह आपस में बैठकर अपने कार्यकर्ताओं के आपसी खून-खराबे को देखा करते हैं और उन्हें बेवकूफ बनाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करते रहते हैं| दिल्ली का 16 दिसम्बर 2012 का बलात्कार काण्ड भी उसी का एक हिस्सा था जिसे इन राजनैतिक पार्टियों ने अपने स्वार्थ के लिये मीड़िया का उपयोग करके रचा था, ना कि अपने आप रचा हुआ था क्योंकि अगर अपने आप रचा हुआ होता तो उसी समय हरियाणा में 17 अनुसूचित जातियों की लड़कियों के साथ किया गया बलात्कार भी सामने आ जाता मगर वह नहीं आया क्योंकि वह सदियों से चली आ रही उस परंपरा का हिस्सा था जिसमें सवर्ण जाति के महापुरूष छोटी जातियों की महिलाओं को अपने पांव की जूती समझते थे, हैं और बलात्कार करना अपना हक समझते हैं| अगर वह मामला उठता तो, हिन्दू धर्म के उन ठेकेदारों के चेहरे शर्मसार होते जो छोटी जातियों को अपना गुलाम समझते हैं मगर दिल्लीवाले मामले में एक मुस्लिम और कुछ गरीब हिन्दु शामिल थे| अतः इस मामले को उठाने से किसी हिन्दु उच्च जाति वाले धर्म के ठेकेदार या बलात्कारी का सिर शर्म से नहीं झुकता| परिणाम, यह मामला उठाया गया जबकि उसी वक्त दिल्ली से भी बड़े बलात्कार के मामले को  किसी भी समाचार-पत्र ने उठाने की हिमाकत नहीं की| यह हाल हमारे देश के हर क्षेत्र में लगातार जारी है और गरीब या मजलूमों के मामलों को न तो वहाँ की प्रशासकीय व्यवस्था या पुलिस महकमा अहमियत देता है और ना ही वहाँ के रहनेवाले वासी अहमियत देते हैं इन मजलूमों की हालत यह होती है कि उनके क्षेत्र के जवान होते युवाओं का समूह जिन्हें अपने बाप-दादाओं से रईसी वघारने की खुली छूट मिली होती है| वे चुन-चुन कर ऐसी लड़कियों व महिलाओं को अपना निशान बनाते हैं जिन्हें कभी भी इन्साफ दिलवाने के लिये सहारा प्राप्त न हो सके|

अवारा युवा जवानी के नशे में ऐसे मदमस्त होते हैं कि वे लड़की के मामले में लड़की के साथ छेड़खानी तो करत

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टिप्पणी
anil 10/05/2014
apne paise k balbute par vote khridte hai aur phir greeb janta ka soshan karte hai jarooat hai logon ko jagrook karne ki k woh chand pasion mein apna vote na bechen
4 0
   
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