प्रेस नोट :
23 अप्रैल 2014
कारखाने मालिक को हक नहीं कि वह कानून अपने हाथ में ले !

भ्रष्ट नेताओं व भ्रष्ट अधिकारियों ने देश की ऐसी हालत कर रखी है कि,
महँगाई आसमान छूने लगी है, आम इन्सान का जीवन दूभर हो गया है, रहने व अच्छा खाना-पीना
आम इन्सान के लिये सपने सा हो गया है| पैसे वाले अधिक पैसे वाले होते जा रहे हैं जबकि
गरीब और गरीब होता चला जा रहा है| ऐसे परिस्थिती में किसी को मौका मिले तो वे आसान
परिस्थितीयो का फायदा उठाकर गलत रास्ते का उपयोग करते हुये धन कमाने की चेष्टा करने
लगता है| संगठन के पास ऐसा ही एक मामला आया था, जिसमें कुछ गरीब कामगारों ने मिल कर
एक कारखाने में उत्पादित माल को चोरी करके बेचने का कार्य शुरू कर दिया| नौसिखिया व
पहली बार अपराध की दुनिया मे कदम रखे होने की वजह से कारखाने वाले ने उन्हें पकड लिया|
जैसा कि हम सब जानते हैं कि, बाहुबली या रईस अगर कभी कोई गलत कार्य करें या गलत रास्ते
से धन कमाने की चेष्ठा करें तो उन्हें पकडना या सजा दिलाना लगभग नामुमकिन के बराबर
है, जबकि स्थानीय प्रशासकीय अधिकारियों को इन बाहुबलियों द्वारा किये जा रहे हर गैर-कानूनी
कार्यों की पूरी जानकारी रहती है| मगर यदि कोई नौसिखिया किसी प्रभावशाली व्यक्ति के
नेतृत्व के बिना किसी भी प्रकार की कोई भी आपराधिक गतिविधी को अन्जाम दे तो उसे बडी
आसानी से पकड लिया जाता है| इस मामले मे भी ठीक यही हुआ कारखाने मालिक ने नौसिखिया
चोरों को पकड लिया और कारखाने मे बंद कर दिया और उनके साथ लगातार मार-पिटाई शुरू कर
दी| पहले तो जानवरों के समान उन्हें पीटा गया फिर उनके प्रियजनों को बुला-बुला कर नुकसान
की भरपाई के लिये उन पर दबाव डालना शुरू किया गया यही चोरी का कार्य यदि किसी प्रभावशाली
व्यक्ति के नेतृत्व मे हो रहा होता तो किसी भी चोर को पकडना नामुमकिन तो होता ही साथ
ही साथ ही पिटाई की बात तो बहुत दूर की होती|
यहाँ यह बताना जरूरी समझते है कि, "संगठन किसी भी गैर-कानूनी कार्य
का पक्षधर नहीं है मगर संगठन किसी भी कार्य को कानून के द्वायरे मे रहते हुये करने
मे यकीन रखता है"| जैसे ही संगठन के पास संबंधित मामला आया और पता चला कि कारखाने
में लगातार पिटाई जारी है तो फैक्टरी मालिक को संगठन की तरफ से फोन किया गया और मामले
की तह तक जाने का प्रयास किया गया जिसकी वजह से फैक्ट्री मालिक ने कहा कि "यह
मामला हमने पुलिस में दे दिया गया है"