प्रेस नोटः 12 अप्रैल 2014
डॉक्टरों व अधिकारियों का अनैतिक रवैया
समाज को स्वीकार करना चाहिये

आज की व्यस्तम शैक्षणिक व्यवस्था और
पारिवारिक पृष्ठभूमि बच्चों को घमंडी, गुस्सेबाज व अनैतिक आचरण प्रदान कर रही है| रईस
घरानों के बच्चों को बचपन से ही गरीब व निम्न श्रेणी के प्रति घृणापूर्ण बर्ताव प्रदान
किया जाता है| यह बच्चे बड़े होकर पूर्वजों की धन-संपत्ति के बल पर अयोग्य होने के बावजूद
भी बड़े पदों(इंजीनियर, डॉक्टर, IAS, IPS आदि) पर आसीन हो जाते हैं| बाल्यावस्था में
इन लोगों को मिली अनैतिक शिक्षा इन्हें घमंंडी, गुस्सैल स्वभाव वाला व राक्षसी प्रवृत्ति
का इन्सान बना देती है| जो शारीरिक रूप से तो इन्सान जैसे ही होते हैं मगर उनके हाव-भाव
व विचार राक्षसी प्रवृत्ति के ही होते हैं|
इस देश ने एक उदाहरण देखा था सांसद धनन्जय
सिंह और उनकी पत्नी डॉ. जागृति सिंह का, जिन्होंने रईसी खुमार के नशे में चूर होकर
कमजोर, असहाय मजलूमों पर जुल्म करना अपना अधिकार समझ रखा था| जिसकी परिणति एक मजलूम
की मौत पर भी खत्म नहीं हुई शायद क्योंकि हमारे देश में रईसों को हर घृणित कार्य व
अपराध करने की खुली छूट है| पैसों के बल पर यह लोग कुछ ही दिनों में मामले को दबाते
हुये वापस समाज में आ जाते हैं और नये-नये शिकार करना शुरू कर देते हैं|
संगठन के पास ऐसा ही एक मामला जिलाः
महाराजगंज, उत्तर प्रदेश का आया है, जिसमें डॉ. श्रीमती
कालिन्दी सिंह(बी.ए.एम.एस. रजिः 43144 U.P.) है, जो अपने मरीजों व निम्न श्रेणी
के मजलूमों के साथ एक प्रकार से छुआ-छूत के समान ही व्यवहार करती हैं| इन डॉक्टर साहिबा
के खिलाफ पहले भी शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं मगर माफी के बाद यह डॉक्टर अपने पुराने
रवैये पर वापस आ जाती है| इनकी नजरों में गरीब व्यक्ति इन्सान नहीं बल्कि जानवर या
कीड़े-मकौड़े हैं| इनके नजरिये व लापरवाही की वजह से सरकारी अस्पताल में प्रसव(Delivery)
के समय एक बच्चे की जान तक जा चुकी है इसके अलावा और क्या-क्या हुआ होगा उसका पता नहीं|
संबंधित मामले में शिकायतकर्ता ने शपथ-पत्र दिया है(जो साथ में संलग्न है)| इन डॉक्टर
साहिबा ने क्लिनिक में अन्य कोई मरीज न होने के बावजूद भी दर्द से तड़पते शिकायतकर्ता(मरीज)
की तरफ ध्यान नहीं दिया और लगभग एक घंटे तक क्लिनिक में होने के बावजूद भी उन्हें कष्ट
भरी हालत में छोड़े रखा और मेडिकल जाँच करने की जरूरत महसूस नहीं की(ऐसा लगता है जैसे
जानबूझकर उन्हें कष्ट देते हुये अपनी ताकत दिखाना च