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निजि स्वार्थ नौनिहालों का भविष्य और परिवार को कैसे बर्बाद कर सकता है?

 

महिला को मिले ब्रह्मास्त्र रूपी हथियार का उपयोग परिवार का बुजुर्ग अपने निजि स्वार्थ के लिये किस प्रकार उपयोग करता है वह संगठन के पास आये इस मामले से उजागर हो रहा है, इसमें लड़के को बुरी तरह प्रताड़ित करने के बाद भी ससुर का लालच खत्म होने का नाम नहीं ले रहा| एक कहावत है कि "स्वार्थी व लालची इंसान मुर्दे का कफन चोरी करने में भी नहीं हिचकिचाता", ठीक यही हालत संबंधित मामले में लड़के के ससुर की है, वह लड़की का उपयोग करके लड़के को पूरी तरह निचोड़ लेने का कार्य कर रहा है| संबंधित मामले में 20-08-2013 को लड़के-लड़की की Counselling थी, जिसमें हमने एक पहल करने की कोशिश की है और लड़के द्वारा लड़की को सुनाने के लिये एक पत्र दिया है, जिसमें हमारी कोशिश है कि लड़के का आज तो भविष्य बिगड़ चुका है मगर उनके बच्चों का भविष्य न बिगड़ सके|

Counselling के लिये दिया गया पत्र इस प्रकार हैः

मैं राजकुमार पुत्र श्री. राम खिलावन (पता: गांव- गिल्ला, शहीद परमजीत सिंह नगर, जिला- लुधियाना) मेरी शादी दिनांक- 1 मई 2001 को हुई| मैंने शादी के बाद से ही अधिकांशतः लगभग आठ वर्ष तक का समय अपनी पत्नी के साथ ससुराल में ही बिताया| इस दौरान न तो मुझे अपनी पत्नी से तकलीफ थी न ही उसको मुझसे(जिसकी ऑडियो रिकार्डिंग भी मेरे पास मौजूद है)| मैं अपने बच्चों से बहुत प्यार करता हूँ, मैं नहीं चाहता कि हम पति-पत्नि के बीच की आपसी नासमझी की वजह से मेरे बच्चों का भविष्य खराब हो| मैं जानता हूँ कि जिन बच्चों के माता-पिता साथ में नहीं होते उन बच्चों को समाज में तरह-तरह के ताने सुनने पड़ते हैं जैसे, अगर स्कूल जायेंगे तो बाकी के बच्चे उनके माता-पिता के बारे में पूछेगें जिसका उचित जवाब न दे पाने की वजह से दूसरे बच्चे मेरे बच्चों को चिढायेंगे और तकलीफ पहुँचायेंगे जिस कारण मेरे बच्चे एकाकीपन का शिकार होकर मानसिक रूप से विक्षिप्त होते हुये चिड़चिड़े, गुस्सेवाले या गलत दिशा में जा सकने की कोशिश करेंगे जिससे जब वे बड़े होंगे तो पढ लिख नहीं पायेंगे और डॉक्टर / इंजीनियर बनने से वंचित रह जायेंगे| जैसा कि हम सब को भी दिखाई देता है कि ऐसी स्थिती में बच्चे आपराधिक प्रवृत्ति के बन जाते हैं और अपने ही परिवार के बड़े-बुज़ुर्गों के साथ बदतमीज़ी व गाली-गलौच करने लग जाते हैं जो बाद में परिवार को आर्थिक व मानसिक रूप से जिन्दगीभर परेशान करते रहते हैं| वे अपने व पराये को नहीं समझते और माता-पिता से भी हाथापाई जैसी स्थिती पैदा कर देते हैं

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टिप्पणी
Mahipal Choudhary 20/08/2013
जय हिन्द!!
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