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अंधभक्त कार्यकर्ताओं को समझना चाहिये कि, पार्टी प्रमुख अगर दबंगों के खिलाफ उंगली उठायेगा तो तीन उंगलीयाँ उसपर भी उठेंगी यानि ऐसे पार्टी प्रमुख क्या देश का बदलाव कर सकेंगे?

 

हमारे देश में दबंग लोगों के लिये शायद किसी प्रकार का कोई कानून मौजूद ही नहीं है और यही कारण है कि दबंग बेखौफ होकर कानून को ठोकर पर रखते हैं और जुर्म पर जुर्म किये चले जाते हैं| इन दबंगों के आतंक से पीड़ित समुदाय अधिकांशतः दलित वर्ग, गरीब वर्ग या वह वर्ग होता है जो प्रभावशाली लोगों के संपर्क सूत्र में शामिल नहीं होता और ऐसे वर्गों के खिलाफ शिकायत करने के बावजूद कार्यवाही नहीं होती क्योंकि पीड़ित पक्ष अगर किसी भी संस्था पार्टी या सूचना तंत्र के पास जाकर मामले में सहयोग पाने के चेष्टा करे, तो मालूम पड़ता है कि वह संस्था या पार्टी का प्रमुख जो मामले को संज्ञान में लेते हुये दबंग के खिलाफ उंगली उठा रहा हैं, उसके बारे में पता चलता हैं कि तीन उंगलियाँ तो खुद उसकी तरफ ही उठी हुई हैं, मतलब साफ है कि उसके खुद के दामन पर काले धब्बे पड़े हैं जो आरोपी दबंग का बचाव करने वाले प्रभावशाली हस्तियों की तरफ से उठाये गये हैं| ऐसी स्थितियों में संस्थायें जो सरकारी अनुदान से, नेताओं या भ्रष्टाचारियों को ब्लैकमेल करते हुये अर्जित की गई राशियों और संपत्तियों से चल रही होती है को अपना दामन बचाने के लिये ऐसे मामलों से हाथ पीछे खींचना पड़ता है|

वह सूचना तंत्र जो इन प्रभावशाली दबंगों की वजह से सरकारी विज्ञापनो से मिलने वाली राशियों की वजह से एश्वर्य का सुख भोग रहे होते हैं, उस सुख से वंचित न हो जायें इसलिये ऐसे मामलों में हाथ डालने की हिम्मत नहीं करते, जबकि पार्टियाँ जैसे भाजपा, कांग्रेस, बसपा, सपा या नई-नई बनी आप पार्टी के कार्यकर्ता अगर मामले को उठाना चाहें तो उनके प्रमुख दबंगों की हैसियत देखते हुये कार्यकर्ताओं को बहला फुसलाकर समय की धूल में डुबो देते हैं जिससे मामला आगे बढ ही नहीं पाता| हम थोड़ा सा ध्यान दें व चिंतन करें तो हमें यह कार्यकर्ता तीन प्रकार के नज़र आयेंगे एक वे जो राजनैतिक परिभाषा को पूरी तरह जानते हैं और अपने खुद के फायदे को समझते-बूझते बेशर्मी की आड़ लेते हुये कभी किसी पार्टी में तो कभी किसी अन्य पार्टी में नज़र आते हैं उनका मूल मकसद रहता है राजनैतिक प्रभाव का उपयोग करना धनार्जन करना जो वह बड़ी आसानी से दलालों की भूमिका अदा करते हुये प्राप्त कर लेते हैं, जैसे स्कूलों, कॉलेजों में दाखिले की जिम्मेदारी लेना या किसी भी सरकारी विभाग से काम करवाकर धनार्जन की प्राप्ति करना, ऐसे अनेकों कार्य इस प्रकार का कार्यकर्ता करते नज़र आयेंगे| जरूरत पड़ने पर ऐसे कार्यकर्ता प्रचारक का कार्य भी पैसा लेकर मीडिया व सोशल मीडिया का उपयोग करते नज़र आयेंगे| इस प्रकार का प्रचार करने में वे इस तरह माहिर होते हैं कि विरोध करने वाले को इस कदर अपशब्दों से सम्

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